Ganesh Chaturthi 2022 : दो साल के कोरोना प्रतिबंधित उत्सव के बाद, इस बार 10 दिवसीय सिद्धिविनायक एवं बुद्धि ज्ञान के दाता भगवान श्री गणेश जी के उत्सव की तैयारी जोरों पर है। यह त्यौहार पूरे भारत में लोगों द्वारा बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
यह त्योंहार मुख्य रूप से भारत के महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र आदि में मनाया जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त 2022 बुधवार को है श्री गणेश उत्सव भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है।
त्योहार के पहले दिन लोग अपने घरों में भगवान श्री गणेश की मूर्तियां स्थापित कर गणपति बप्पा का स्वागत करते हैं। सभी भक्त श्री गणेश भगवान को सजाते हैं व उनकी पूजा करते हैं ओर फिर 3, 5 या फिर 10 दिनों के बाद मूर्तियों को पानी में विसर्जित कर उन्हें विदा कर देते हैं।

भगवान श्री गणेश की मूर्तियों को पूजा के लिए घर में रखने की अवधि पूरी तरह से भक्तों पर निर्भर करती है। इस त्योहार को मनाने के पीछे कई कहानियां और मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं आज के लेख में गणेश चतुर्थी, शुभ मुहूर्त व पूजन सामग्री और गणेश स्थापना और विसर्जन के शुभ मुहूर्तों के बारे में।
Ganesh Chaturthi Kab hai | गणेश चतुर्थी कब है ?
गणेश चतुर्थी इस बार 31 अगस्त 2022 बुधवार को है श्री गणेश उत्सव भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है।
31 अगस्त 2022 को गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश जी की स्थापना व पूजा के लिए दिन भर में कुल 5 शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस दिन सुबह 11.20 बजे से दोपहर 01.20 बजे तक का समय सबसे अच्छा रहेगा, क्योंकि इस वक्त मध्याह्न काल रहेगा, जिसमें गणेश जी का जन्म हुआ था।
- सुबह 6 से 9 बजे
- सुबह 10.30 से दोपहर 2 बजे
- दोपहर 3.30 से शाम 5 बजे
- शाम 6 से 7 बजे
गणपति स्थापना कैसे करें?
- इस दिन सूर्योदय से पहले नहाकर नए कपड़े पहनें। पूजा स्थान पर पूर्व दिशा की तरफ मुंह रखकर पवित्र आसन पर बैठें और गणेश स्थापना का संकल्प लें
- अपने सामने चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं। उस पर चावल रखें। फिर तांबे के चौड़े बर्तन में चंदन या कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर उसे चौकी पर रख दें।
- इस बर्तन में स्वस्तिक पर फूलों की पंखुड़ियां बिछाएं और उन पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। फिर संकल्प लेकर पूजा शुरू करें।
भगवान श्री गणेश की पूजा विधि
पूजा शुरू करने से पहले ये मंत्र बोले
ऊं गं गणपतये नमः मंत्र बोलते हुए पूरी पूजा करें।
गणेशजी की मिट्टी की मूर्ति पर पहले जल, फिर पंचामृत की कुछ बूंदे डालें। फिर जल छिड़कें। धातु की मूर्ति हो तो अभिषेक करें।
मूर्ति पर मौली चढ़ाकर वस्त्र पहनाएं। फिर जनेऊ, चंदन, चावल, अबीर, गुलाल, कुमकुम, अष्टगंध, हल्दी और मेहंदी चढ़ाएं।
इत्र और हार-फूल चढ़ाएं। गुड़ और दूर्वा चढ़ाकर
धूप-दीप अर्पित करें। पूजा शुरू करें।

ऋतुफल, सूखे मेवे, मोदक या अन्य मिठाई का नैवेद्य लगाकर भगवान को आचमन के लिए मूर्ति के पास ही बर्तन में 5 बार जल छोड़ें।
पान के पत्ते पर लौंग-इलाइची रखकर भगवान को अर्पित करें और दक्षिणा चढ़ाएं। फिर आरती करें।
अगर आप इतनी सारी चीजों से पूजन न कर पाएं तो इसके लिए यह छोटी पूजा विधि भी अपना एक्ट है ?
- चौकी पर स्वास्तिक बनाकर चुटकी भर चावल रखे।
- उस पर मौली लपेटी हुई सुपारी रखें। इन सुपारी से श्री गणेश की पूजा करें।
- यदि य भी न हो पाए तो श्रद्धा से केवल मोदक व दूर्वा चढ़ाकर प्रणाम करने से भी भगवान श्री गणेश की कृपा रहती है।
यदि किसी वजह से श्री गणेश स्थापना ओर पूजा न कर पाएं तो क्या करें….…
पूरे गणेशोत्सव में हर दिन गणपति के सिर्फ 3 मंत्र का जाप करने से भी पुण्य मिलता है। सुबह नहाने के बाद श्री गणेश जी के नीचे दिए गए मंत्रों को पढ़ कर प्रणाम कर के ऑफिस, दुकान या फिर किसी भी काम के लिए जाए।
गणपति पूजा से जुड़ी ध्यान रखने वाली कुछ बातें
- भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति पर तुलसी या शंख से जल नहीं चढ़ाए।
- दूर्वा व मोदक के बिना भगवान श्री गणेश की पूजा अधूरी रहती है।
- गणपति के पसंदीदा फूल : कनेर मल्लिका, चम्पा, कमल, मौलश्री, गेंदा व गुलाब है।
- भगवान श्री गणेश के पसंदीदा पत्ते – शमी, दूर्वा, धतूरा, कनेर, केला, बेर, मदार व बिल्व पत्र हैं।
- श्री गणेश पूजा में नीले या काले रंग के कपड़े नही पहनना चाहिए।
- चमड़े की चीजें बाहर रखकर श्री गणेश की पूजा करें व भगवान को अकेले कभी न छोड़ें।
- श्री गणेश स्थापना के बाद मूर्ति को इधर-उधर न रखें, यानी हिलाएं डुलाये नहीं।
Ganesh Chaturthi 2022 पर चंद्र दर्शन से बचें
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन रात में चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए। क्योंकि इस अवसर पर चंद्रमा को देखने से किसी भी व्यक्ति पर मिथ्या दोष या मिथ्या कलंक बनता है। हिंदू कैलेंडर अनुसार 30 अगस्त को दोपहर 3:33 बजे से रात 8:40 बजे तक व 31 अगस्त को सुबह 9:29 से रात 9:10 बजे के बीच चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए।
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