Shaheed Diwas कब-कब और क्यों मनाया जाता है : भारत में भी दुनिया के अन्य देशों की तरह अपने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रति वर्ष Shaheed Diwas मनाया जाता है।
शाहिद दिवस के दिन देश भर में उन शहीदों को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना भारत की स्वतंत्रता, कल्याण और प्रगति के लिए लड़ाई लड़ी।
Shaheed Diwas kyo Manaya Jata hai : शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है ?
देश को आजादी कितने साल संघर्ष करने के बाद मिली है। देश की आजादी के लिए ना जाने कितने ही योद्धाओं ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी।
अपने वतन पे मरने वाले इन वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रतिवर्ष Shaheed Diwas मनाया जाता है।
ताकि आज के युवाओं में अपने देश के प्रति प्रेम और जोश बना रहे और वह इन वीर योद्धाओं का संघर्ष पूर्ण जीवन का महत्व समझ सके।
आसान शब्दों में कहें : तो इतनी मुश्किल से मिली इस आजादी की कीमत को समझने के लिए हर वर्ष Shaheed Diwas मनाया जाता है ।
भारत में कैसे मनाया जाता है : शहिद दिवस
Shaheed Diwas : शहिद दिवस पर पूरे भारत में शहीदों के बलिदान को याद किया जाता है। उन्हे नमन किया जाता है। देश के सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति एकत्रित होकर शहीदों की प्रतिमाओं पर पुष्प चढ़ाते है व सशस्त्रबल के जवानों द्वारा सलामी दी जाती है
देश के सभी शैक्षिक केंद्रों जैसे की – सभी स्कूलों में , कॉलेजों में वीर शहीदों के सम्मान में छात्रों द्वारा देशभक्ति गीत , कविताएं , वाद–विवाद , भाषण , नाटक प्रदर्शन और निबंध प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है।
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भारत में कब मनाया जाता है : शहीद दिवस
इंडिया में Shaheed Diwas कई तिथियों को मनाया जाता है। लेकिन मुख्य रूप से दो तिथियां पूरे देश में शहीद दिवस के रूप में अधिक मानी जाती है – 30 जनवरी ओर 23 मार्च को ।
- 30 January Shaheed Diwas
- 23 March Shaheed Diwas
- 21 October Shaheed Diwas
- 17 November Shaheed Diwas
- Shaheed Diwas on 19 November
यह शहीद दिवस हर साल 30 जनवरी को मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन, महात्मा गांधी की हत्या 1948 में नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में शाम को प्रार्थना के दौरान कर दी गई थी ।
कुछ शाम ऐसी होती है जिसके बाद सुबह आने में लंबा वक्त लगता है – 30 जनवरी 1948 की शाम भी कुछ ऐसी ही थी।
कुछ ही समय बीता था जब सरदार पटेल महात्मा गांधीजी से मिलकर लौटे थे ।
संध्याकालीन प्रार्थना का समय हो चला था और गांधीजी जी बिड़ला भवन के प्रार्थना स्थल की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहे थे। वहाँ रोज की तरह सैंकड़ों लोग पहले से ही जमा थे। आज गांधीजी को आने में थोड़ी देर हो गई थी। इसी दौरान एक व्यक्ति भीड़ को चीरते हुए गांधीजी के समीप आने लगा।
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वो शायद गांधीजी को झुककर प्रणाम करना चाहता था। पर वो कुछ और ही इरादे के साथ आया था।
उसने गांधीजी पर गोली चला दी और क्षणभर में ही गांधीजी उसी भूमि पर गिर पड़े जिसकी मिट्टी से उनका व्यक्तित्व रचा-बुना गया था।
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गांधी जी अंतिम यात्रा
देश ने शायद ही पहले कभी ऐसे शोक अनुभव किया हो ! बिड़ला भवन से यमुना तट की ओर करीब पंद्रह लाख लोग गांधीजी के शव के साथ – साथ चल रहे थे। लगभग दस लाख लोग पहले से यमुना के किनारे इंतज़ार कर रहे थे।
चिता की अग्नि ने अंततः गांधीजी के भौतिक शरीर को भस्मीभूत कर दिया। दुनियाभर से नेता और आमजन इस घटना के प्रति अपनी संवेदना प्रकट कर रहे थे। समूचा संसार एक रिक्तता महसूस कर रहा था।
23 मार्च शहीद दिवस
भारत में 23 मार्च को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को भारत में शहीद दिवस के रूप में घोषित किया गया है। ताकि पुरा देश उनके बलिदान को हमेशा याद रखे ।
इंकलाब जिन्दाबाद का नारा
भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की हत्या के लिए लड़ाई लड़ी। भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर वर्ष 1929 में ” इंकलाब जिंदाबाद “ का नारा बोलते हुए केंद्रीय विधानसभा पर बम फेंका था ।
इसके लिए उन पर हत्या का आरोप लगाया गया और 23 मार्च 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर जेल में शाम 7.30 बजे फांसी दी गई थी। ओर उनके शव का अंतिम संस्कार सतलज नदी के तट पर किया गया था ।
कम उम्र में मातृभूमि के प्रति समर्पण लोगों के लिए ना केवल उस समय बल्कि आज भी प्रेरणा के स्रोत हैं।
21 अक्टूबर शहीद दिवस
21अक्टूबर1959 को भारत तिब्बत सीमा की सुरक्षा करते हुए लद्दाख में 10 भारतीय सीआरपीएफ के पुलिस जवान शहीद हुए थे।
इसलिए प्रतिवर्ष उन वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए यह दिन सभी पुलिस विभागों द्वारा देशभर में पुलिस शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय जो की पंजाब के शेर नाम से भी जाने जाते है।
सन् 1928 में साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रदर्शन के दौरान हुई लाठी-चार्ज के कारण लालालाजपत की मृत्यु हो गई
इसलिए प्रतिवर्ष 17 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
19 नवंबर को रानी लक्ष्मी बाई के जन्मदिन को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन उन लोगों को श्रद्धांजलि देते है जिन्होंने 1857 के विद्रोह में अपना जीवन दिया था।
तो उम्मीद है दोस्तों की आपको इस पोस्ट से शहीद दिवस के बारे बहुत कुछ जानने की मिला होगा ।
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